वो पूल के उस किनारे आके खडी हो गई,
जहासे अगला कदम..
जिंदगीका आखरी कदम था
इक भोले-भाले भेड के बच्चे ने उसे रोक दिया
गडरिये भटकी हुई भेडोंको राह दिखाते है
ईसा भी यही करते थे
उसका हात पकडके वो उसे अपने घर ले गया
" अरे! ताल से पानी सूंख गया है
आसमां तो नहीं सूंख गया ?
फ़िर मेघ आएगा..
फ़िर जल भरेगा..
चल!"
- गुलझार
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