मेरा वाकिफ है, बहुत सालोंसे मै उसे जानता हूं...
जब मै छोटा था तो एक आम उडानेके लिये
परली दीवारसे कांधोंपे चढा था उसके...
जाने दुखती हुई किस शाखसे जा पांव लगा,
धाडसे फेंक दिया था मुझे नीचे उसने...
मैने खुन्नसमे बहुत फेंके थे पत्थर उसपर..
परली दीवारसे कांधोंपे चढा था उसके...
जाने दुखती हुई किस शाखसे जा पांव लगा,
धाडसे फेंक दिया था मुझे नीचे उसने...
मैने खुन्नसमे बहुत फेंके थे पत्थर उसपर..
मेरी शादीपे मुझे याद है शाखें देकर
मेरी वेदीका हवन गर्म किया था उसने...
और जब हामला थी 'बिब्बा' तो दोपहरमे हर दिन,
मेरी बीबीकी तरफ कैरीयां फेकीं थी इसीने ....
मेरी वेदीका हवन गर्म किया था उसने...
और जब हामला थी 'बिब्बा' तो दोपहरमे हर दिन,
मेरी बीबीकी तरफ कैरीयां फेकीं थी इसीने ....
वक्तके साथ सभी फूल ,सभी पत्तीयां गये.....
तब भी जल जाता था, जब मुन्नेसे कहती 'बिब्बा'
'हान,उसी पेड से आया है तू , पेड का फल है'अब भी जल जाता हू . जब मोड से गुजरते मै कभी
खांसकर केहता है, 'क्यो सर के सभी बाल गये?'
'सुबह से काट राहे हैं वोह कमेटी वाले
मोड तक जानेकी हिम्मत नहीं होती मुझको'
- गुलझार
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