साँप!- अज्ञेय


साँप!
तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना
भी तुम्हें नहीं आया।
एक बात पूछूँ--(उत्तर दोगे?)
तब कैसे सीखा डँसना--

विष कहाँ पाया?

-अज्ञेय

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